Thursday, February 14, 2008

तेरे आने का शुक्रिया !

गिराते नहीं अगर तुम, तो मैं क्यों बनाता ये मंजिलें,
ऐ वक्त तेरा चोट देते जाने का शुक्रिया;

भुझाते नहीं अगर तुम, तो मैं क्यों जलाता ये दीये,
आँधियों मेरी महफ़िल में आने का शुक्रिया;

भीगाते नही अगर तुम, तो मैं क्यों बनाता ये छतरियाँ,
बादलों मेरे घर में बरसने का शुक्रिया;

आती नहीं अगर तुम, तो मैं क्यों बनाता ये सीढियां,
दीवारों मेरी राह में आने का शुक्रिया;

टूटते नहीं अगर तुम, तो मैं क्यों सजाता ये शमां,
ऐ ख्वाब मेरी जिंदगी में आने का शुक्रिया!

- यदु 'पगु'

Shimla Trip